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तू जहां पर जाए ,तुझे धिक्खारा ही जाए, तू जंहा से भ

तू जहां पर जाए ,तुझे धिक्खारा ही जाए,
तू जंहा से भी आए जुत खा कर ही आये।
तेरे शरीर में कोढ़ समाए,
तेरी हड्डियों में पानी भर जाए।
मेरे मा बाप को गालियां दी तूने दिन रात,
पर खुदा भी सुनेगा कभी तो मेरी फ़रियाद।
तू दर्द से कर्राएगी,और बहुत जल्द वो घड़ी आएगी,
दिन रात पड़ी रहेगी उस पीहर वाली खाट पर,
और जुत खाएगी तू हर इंसा से अपनी टाट पर।
तन तेरा पिगलेगा, शरीर पर कीड़ों का ज्वाला निकलेगा,
जिनको भुखा मारा तूने,
तू भी इक दिन दाने दाने को तरसेगी,
और देखना मुसीबत की घड़ियां तुझ पर भी बरसेगी,
सिड सिड कर बुरा हाल होगा तेरा,
ऐसा आएगा तेरा आने वाला सवेरा।
समझ ना तुझे आएगा,तेरे पास ना कोई जाएगा,

आत्मा सो परमात्मा

निकले वचन कभी झूट नहीं होते,
और एक कवि की कलम में खोट नहीं होते।
शारदे कि रहमत से कलम से लिखा जाता हैं,
तभी तो एक कवि को सुन ने सारा जगत जाता है।
                                              ज्योति गुर्जर #कमीनी
तू जहां पर जाए ,तुझे धिक्खारा ही जाए,
तू जंहा से भी आए जुत खा कर ही आये।
तेरे शरीर में कोढ़ समाए,
तेरी हड्डियों में पानी भर जाए।
मेरे मा बाप को गालियां दी तूने दिन रात,
पर खुदा भी सुनेगा कभी तो मेरी फ़रियाद।
तू दर्द से कर्राएगी,और बहुत जल्द वो घड़ी आएगी,
दिन रात पड़ी रहेगी उस पीहर वाली खाट पर,
और जुत खाएगी तू हर इंसा से अपनी टाट पर।
तन तेरा पिगलेगा, शरीर पर कीड़ों का ज्वाला निकलेगा,
जिनको भुखा मारा तूने,
तू भी इक दिन दाने दाने को तरसेगी,
और देखना मुसीबत की घड़ियां तुझ पर भी बरसेगी,
सिड सिड कर बुरा हाल होगा तेरा,
ऐसा आएगा तेरा आने वाला सवेरा।
समझ ना तुझे आएगा,तेरे पास ना कोई जाएगा,

आत्मा सो परमात्मा

निकले वचन कभी झूट नहीं होते,
और एक कवि की कलम में खोट नहीं होते।
शारदे कि रहमत से कलम से लिखा जाता हैं,
तभी तो एक कवि को सुन ने सारा जगत जाता है।
                                              ज्योति गुर्जर #कमीनी