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आज का प्रेम राम बन रावण की पृवत्ति लिऐ फिरता है

 आज का प्रेम
राम बन रावण
की पृवत्ति लिऐ फिरता है
                         बनता है सच्चा हितैषी ,
                           पर हृदय में घात और
                               द्वेष लिए फिरता है ....
करता है बड़ी क्रूरता और 
धृष्टता से विश्वास की निर्मम हत्या ,
फिर भी मुख पे तनिक भी ना
क्लेश का भाव लिए फिरता है ।
                                      वासना में लिप्त,
                                     हिन्दुत्व की आड़ लिए
                                 व्यभिचारी बने  फिरता है ।
होते हुए भी प्रत्यक्ष 
बेहद कठिन है उसे पहचानना ,
ऐसे प्रेम के चुंगल में,
अब नही फंसना होगा ।
                            लवजिहाद के नाम पर
                         श्रृद्धा,साक्षी सी मासूमों को,
                               अब नही मरना होगा। 
बचाना ही होगा ऐसे,
आफताब,साहिल जैसे
दानवता को समेटे इंसानियत का
 जो भेष लिऐ फिरता है।
                          हाँ ! आज का प्रेम,
                    प्रेम नही सिर्फ कुंठित और मानसिक,
         सोच और हवस का अधिकार लिऐ फिरता है ।

रश्मि वत्स

©Rashmi Vats
  #लवजीहाद#क्रूरता#वेदना