बसी है दिल में छवि उसकी,जिसे मैं जान कहता हूँ। उसी के प्यार में डूबा, यहाँ दिन - रात रहता हूँ। दिखा है रूप जबसे ही, हुआ मैं इस क़दर पागल- उसी का ख़्वाब देखूँ मैं, उसी की बात करता हूँ। #मुक्तक #ख़्वाबोंकीआदत #विश्वासी