जनहित की रामायण - 41 गरीब का जीना दूभर, सिर्फ यही बात नहीं है, मध्यम बने गरीब, इस दिशा में सोच चल रही है ! रक़म लेकर देश से बाहर जाने की चल पड़ी हवा, देश की अर्थव्यवस्था, इसलिए भी उजड़ रही है !! जिसके पास बचत है, वो कहाँ लगाएगा ? बैंक जमा में 5 लाख तक ही सुरक्षा पायेगा ! महंगाई से ब्याज़ कम है, धन घटता ही जाएगा, इंसान डुबाने-घटाने के लिए तो न ही बचाएगा !! बचत की ऐवज में, खर्च प्राधान्य पायेगा, मध्यम वर्ग गरीब, बन कर ही रह जाएगा ! ब्याज पर उधार, लेने देने पर है पाबंदी, जरूरत पर दबंग कर्ज सिवा राह न बचती !! मोटे ब्याज़ की रकम चुक ही न सकती, गरीबी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रहती ! उच्च एवं उच्च मध्यम वर्ग विदेश जाने लगें हैं, मुल्क छोड़ रहे जिन्हें आर्थिक महामारी समझती !! अति उच्च अत्यधिक उच्च बनते जा रहे हैं, दरअसल परोक्ष में वे ही सत्ता चला रहें हैं ! अंग्रेजो भारत छोड़ो का दिया गया था नारा, अग्रज अपनों से ही भारत छुड़ा रहे हैं !! हे राम.. आवेश हिंदुस्तानी 20.08.2021 ©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan #Economy #Economics #Economic #AaveshVaani