White पल्लव की डायरी गणतंत्र की हामी भर कर संविधान के दायरे में भारत आया था लोकतंत्र के पहरेदार बनकर तिरंगा लालकिले से फहराया था नैतिकता के मूल्यों पर कितने खरे उतरे व्यवस्थाये कितनी जन जन को दे पाये है शोर शराबे संसद के,कितने नीतिगत हो पाये है अनीतियो से सियासतें खेलती न्याय जनता को कितना दे पाये है सर्वोदय का सूरज अस्त होता पूंजीवाद के कुकुरमुत्ते फिर से उग आये है वोटो की राजनीति,ठगों के हवाले देश की एकता अखण्डता नष्ट करते आये है आजादी के दीवाने विस्मित हो गये चेहरे राष्ट्रवाद का बिगाड़ते आये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #happy_independence_day सँविधान के दायरे में भारत आया था