जिंदगी पल पल सीखाती बहुत है हँसाकर फिर ये रुलाती बहुत है उलझन के घेरे में अब भी हूँ उलझी न जाने कैसी सितम ये ढाती बहुत है हुई आज रात सुहानी बहुत है जो तेरी याद ले सताती बहुत है बदल करके करवट मैं रातें गुजारूं तड़प कर ये नयना आँसू बहाती बहुत है।। अंजली