मद्धिम रोशनी में जीने वाले धूप से बहुत डरते हैं सुविधाओं में रहने वाले बातें ग़रीबी की करते हैं ... कोई जिए या मरे ज़रा भी फ़र्क नहीं पड़ता इन्हें हाथों में गिलास थामे हर शाम ये बहस करते हैं ... आलीशान महलों में जब घुटने लग जाता है दम साँस लेने को क़दम जंगल की तरफ़ निकलते हैं ... देश की भाषा से दूरी रखकर ये पढ़े लिखे लोग सारा जीवन ग़ुलामी अंग्रेज़ी भाषा की करते हैं ... धन दौलत बेईमानी की आड़ में छुपकर ये लोग अंतरात्मा के उजले आईनों से भागते फिरते हैं ...— % & #irony