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पुरुष की आकाँक्षा काम की है । सुन्दर स्त्री की आका

पुरुष की आकाँक्षा काम की है ।
सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है
धन—पद की जरूरत है भोगने के लिए ।
बिना धन के भोगेंगे कैसे ? 
बिना धन के अच्छी स्त्री भी न पा सकेंगे ।
बिलकुल निर्धन हुए तो स्त्री भी न पा सकेंगे ।
स्त्रियाँ आमतौर से धन में उत्सुक होती हैं ।

यह हमने खयाल किया ।
धनी को सुन्दरतम स्त्री मिल जाती है ।
चाहे धनी सुन्दर न हो ।
ना भी हो धनी, तो भी युवा स्त्री मिल जाती है ।
ओनासिस को जैकी मिल जाती है ।
धन हो ! तो थोड़ा सोचने जैसा है कि 
स्त्री को धन में इतनी उत्सुकता क्या है ? 
स्त्री काम है ।
धन के बिना काम के खिलने की सुविधा नहीं ।
धन तो ऐसे ही है जैसे पौधे में पड़ी खाद है ।
बिना खाद के फूल न खिल सकेगा ।
इसलिए स्त्री की सहज आकाँक्षा धन की है ।
वह बलशाली आदमी को खोजती है ।
महत्वाकाँक्षी को खोजती है ।
धनी को खोजती है ।
पद वाले को खोजती है ।
स्त्री सीधे—सीधे चेहरे पर नहीं जाती ।
चेहरे—मोहरे से स्त्री बहुत हिसाब नहीं रखती ।
       
इसलिए कभी—कभी आश्चर्य होता है, 
सुन्दरतम स्त्री कुरूप आदमी को खोज लेती है ।
मगर उसकी जेबें भरी होंगी ।
वह बड़े पद पर होगा ।
राष्ट्रपति होगा ।
प्रधान मन्त्री होगा ।
सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है ।
क्योंकि वह जानती है अगर अर्थ होगा, 
तो ही वह खिल पायेगी, 
तो ही उसका सौन्दर्य निखर पायेगा ।
धन सुविधा है ।
     
पुरुष की आकाँक्षा काम की है ।
पुरुष अर्थ है ।
इसे हम समझें ।
      
पुरुष महत्वाकाँक्षा है, वह अर्थ है ।
वह धन तो कमा सकता है ।
धन तो उसकी मुट्ठी की बात है ।
हाथ का मैल है ।
लेकिन सुन्दर स्त्री को कैसे कमायेगा ? 
सुन्दर स्त्री तो हो तो हो, 
न हो तो सौन्दर्य को पुरुष पैदा नहीं कर सकता ।
इसलिए उसकी नजर सौन्दर्य पर है ।
सुन्दर स्त्री हो, 
तो वह और तेजी से दौड़ कर कमायेगा ।

आचार्य रजनीश 
एस धम्‍मो सनन्तनो–भाग–6

फोटो ओल्ड वुमन ब्यूटीफुल से ली गई है

©खामोशी और दस्तक
  #Likho 
पुरुष की आकाँक्षा काम की है ।
सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है
धन—पद की जरूरत है भोगने के लिए ।
बिना धन के भोगेंगे कैसे ? 
बिना धन के अच्छी स्त्री भी न पा सकेंगे ।
बिलकुल निर्धन हुए तो स्त्री भी न पा सकेंगे ।
स्त्रियाँ आमतौर से धन में उत्सुक होती हैं ।

#Likho पुरुष की आकाँक्षा काम की है । सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है धन—पद की जरूरत है भोगने के लिए । बिना धन के भोगेंगे कैसे ? बिना धन के अच्छी स्त्री भी न पा सकेंगे । बिलकुल निर्धन हुए तो स्त्री भी न पा सकेंगे । स्त्रियाँ आमतौर से धन में उत्सुक होती हैं । #समाज

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