मिले हो जब से तुम, मेरे विचारों ने प्रवाह अपना कुछ यूँ बदला है, कि आते है ये मेरे मन में नाम लेकर तुम्हारा और जाते है यादें देकर तुम्हारी, जो जीवंत रहती है, भोर से मेरी नींद में आए सपनों के आख़िरी छोर तक। तुम्हें सोचती हूँ शाम ओ सुबह, इससे ज़्यादा तुम्हें और चाहूँ तो क्या? "खुली क़िताब📖"❤️ #healing__heartt #i_am_lonely #kanhakiradha #kanha_ki_radha