हमने चाहा जिसे वो वफ़ा किसी और से निभाते रहे ये सितम भी क्या खूब था वो दिल मेरा भी बहलाते रहे वो महफिल में चार - चाँद अपनी आवाज से लगाते रहे ये सितम भी क्या खूब था हम तन्हाइयों में खुद को खोते रहे ख़ुद ज़फा की हद से गुजर बेवफाई का इल्ज़ाम लगाते रहे ये सितम भी क्या खूब था दिल ही दिल में हम टूटते रहे ।।— % & ♥️ Challenge-847 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।