कभी ज़रा तुम्हे वक़्त मिले तो, एक शाम तुम्हारे साथ गुजारूं, एक बार तेरी हां की देरी, फिर दिल और जान तुझपे दे वारूं, खोने का डर भी लगा मुझे, कैसे व्याकुल इस मन को संभारू, जो जेहन में मेरे इश्क़ बसा, कैसे ज़ज्बातों को शब्दों में उतारूं, हर वक़्त तू बसा ख्यालों में,हर रात को तेरी तस्वीर निहारूं, कभी ज़रा तुम्हे वक़्त मिले तो , एक शाम तुम्हारे साथ गुजारूं।। एक शाम बस।।