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मैं उर-अन्तर से निकली आह तुम कोकिल-कलरव सी कविता आ

मैं उर-अन्तर से निकली आह
तुम कोकिल-कलरव सी कविता
आपद-आतप द्रवित हृदय-हिम
तुम मंगल हित शीतल सरिता।

सांध्यगीत #तुम और मैं
मैं उर-अन्तर से निकली आह
तुम कोकिल-कलरव सी कविता
आपद-आतप द्रवित हृदय-हिम
तुम मंगल हित शीतल सरिता।

सांध्यगीत #तुम और मैं