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ये ज़िंदगी उतार दिया मौत पहन के... ऎ शौक़-ए-लिबास

ये ज़िंदगी उतार दिया मौत पहन के...
ऎ शौक़-ए-लिबास उठा नाज़ क़फन के..। 

अंदाज़ आज भी मेरा बिलकुल जुदा है...
हमने मक़ान बेच दिया शौक़ सहन के..।

मोहब्बत दुनियादारी समझती नहीं...
अच्छे नहीं रिश्तें रूँह और बदन के..।

आज उदासी ने मुस्करा ही दिया है...
ग़म कब तलक मिज़ाज उठाए घुटन के..।

ये उड़ान एक मायूस परिंद की है...
खुश दायरे से बहुत है लोग वतन के..।

         - ख़ब्तुल
     संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 शौक़
ये ज़िंदगी उतार दिया मौत पहन के...
ऎ शौक़-ए-लिबास उठा नाज़ क़फन के..। 

अंदाज़ आज भी मेरा बिलकुल जुदा है...
हमने मक़ान बेच दिया शौक़ सहन के..।

मोहब्बत दुनियादारी समझती नहीं...
अच्छे नहीं रिश्तें रूँह और बदन के..।

आज उदासी ने मुस्करा ही दिया है...
ग़म कब तलक मिज़ाज उठाए घुटन के..।

ये उड़ान एक मायूस परिंद की है...
खुश दायरे से बहुत है लोग वतन के..।

         - ख़ब्तुल
     संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 शौक़