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जैसा बोता है वैसा काटता है ये इंसान फिर क्यों रोत

जैसा  बोता है वैसा काटता है
ये इंसान फिर क्यों रोता है, 
माँ - बाप  से करता तू तड़ाका, 
बच्चों से मुँह की खाता है।

अदब की भूख रहती है, 
पर शिष्टाचार का  कुछ पता नहीं ,
तालीम, तहजी़ब सीखी नहीं कभी 
गुस्से में आपा खोता है! 
 "लिखने की पीछे की वज़ह" - आज सामने पड़ोस में देखा कि दो छोटे बच्चे पटाखे जला रहे थे, दोनों नंगे पाँव थे तो उनके पिता ने कहा चप्पल क्यों नहीं पहनी तो बच्चे बोले तूने क्यों नहीं पहनी, वे बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए और बोले पापा से ऐसे बात करते हैं, तो बच्चे बोले आप भी तो दादू से ऐसे ही बोलते हैं..!

"सीख"- हमें हमेशा सोच समझ कर बोलना चाहिए, बड़ों के साथ शिष्टाचार रखना चाहिए

"कोशिश" - मेरी हमेशा यही कोशिश रही है कि किसी से गलत ना कहूँ, ना ही सुनूँ..!

"उम्मीद" - आप सब अपना प्यार यूँही बनाए रखना!
जैसा  बोता है वैसा काटता है
ये इंसान फिर क्यों रोता है, 
माँ - बाप  से करता तू तड़ाका, 
बच्चों से मुँह की खाता है।

अदब की भूख रहती है, 
पर शिष्टाचार का  कुछ पता नहीं ,
तालीम, तहजी़ब सीखी नहीं कभी 
गुस्से में आपा खोता है! 
 "लिखने की पीछे की वज़ह" - आज सामने पड़ोस में देखा कि दो छोटे बच्चे पटाखे जला रहे थे, दोनों नंगे पाँव थे तो उनके पिता ने कहा चप्पल क्यों नहीं पहनी तो बच्चे बोले तूने क्यों नहीं पहनी, वे बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए और बोले पापा से ऐसे बात करते हैं, तो बच्चे बोले आप भी तो दादू से ऐसे ही बोलते हैं..!

"सीख"- हमें हमेशा सोच समझ कर बोलना चाहिए, बड़ों के साथ शिष्टाचार रखना चाहिए

"कोशिश" - मेरी हमेशा यही कोशिश रही है कि किसी से गलत ना कहूँ, ना ही सुनूँ..!

"उम्मीद" - आप सब अपना प्यार यूँही बनाए रखना!