* प्रेम किसको कहते हैं ? - प्रेम उसीको कहते हैं , राज़ी हैं हम उसी में , जिसमे तेरी रज़ा है । यही तो प्रेम का स्वभाव है , प्रेम समर्पण चाहता है, पूर्णता नही।