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लबों तक आकर ज़ुबाँ पे जो न आए मोहब्बत में सब्र का

लबों तक आकर
ज़ुबाँ पे जो न आए
मोहब्बत में सब्र का
तुम वो मुकाम हो

हजारों पर्दे 
हम बाजार से ले आए
छुपकर भी जो छिपे न
तुम मोहब्बत का वो सामान हो

चलो ये भी सही है
गुम रहो अपने आप में
जिन सवालों का कोई हल न हो
तुम मोहब्बत का वो इम्तिहान हो

बारिश ने न जाने
कितनों की कश्तियाँ डुबाई
वक्त से भी जो मिटे न
तुम मोहब्बत का वो निशान हो

सवाल-जवाब करोगे
तो ये दिल जलेगा
जिस सफ़र की न हो मज़िल
तुम मोहब्बत का वो इत्मीनान हो... 
© trehan abhishek









 #mohabbat #manawoawaratha #hindipoetry #hindishayari #yqdidi #yqastheticthoughts #yqrestzone
लबों तक आकर
ज़ुबाँ पे जो न आए
मोहब्बत में सब्र का
तुम वो मुकाम हो

हजारों पर्दे 
हम बाजार से ले आए
छुपकर भी जो छिपे न
तुम मोहब्बत का वो सामान हो

चलो ये भी सही है
गुम रहो अपने आप में
जिन सवालों का कोई हल न हो
तुम मोहब्बत का वो इम्तिहान हो

बारिश ने न जाने
कितनों की कश्तियाँ डुबाई
वक्त से भी जो मिटे न
तुम मोहब्बत का वो निशान हो

सवाल-जवाब करोगे
तो ये दिल जलेगा
जिस सफ़र की न हो मज़िल
तुम मोहब्बत का वो इत्मीनान हो... 
© trehan abhishek









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