लबों तक आकर ज़ुबाँ पे जो न आए मोहब्बत में सब्र का तुम वो मुकाम हो हजारों पर्दे हम बाजार से ले आए छुपकर भी जो छिपे न तुम मोहब्बत का वो सामान हो चलो ये भी सही है गुम रहो अपने आप में जिन सवालों का कोई हल न हो तुम मोहब्बत का वो इम्तिहान हो बारिश ने न जाने कितनों की कश्तियाँ डुबाई वक्त से भी जो मिटे न तुम मोहब्बत का वो निशान हो सवाल-जवाब करोगे तो ये दिल जलेगा जिस सफ़र की न हो मज़िल तुम मोहब्बत का वो इत्मीनान हो... © trehan abhishek #mohabbat #manawoawaratha #hindipoetry #hindishayari #yqdidi #yqastheticthoughts #yqrestzone