कुछ परिंदे आकर बैठे एक डाल पर न जाने कहा से, आये थे वे स्वपन पाल कर न जाने कहा से,,, आगे का अब सफर थोड़ा सा करना था उनके साथ-साथ मे, बाते हुई, एक दूजे को जाना ,,,,,,,बन गए साथी बात-बात मे, एक सहारा सा भी बन गए न जाने कैसे, हंसते खेलते ,लड़ते -समझे,रोते -गाते,,,,उड़ चले उन्मुक्त गगन मे, करके एक दूजे पर विश्वास, न जाने कैसे, नए दोस्त, नई कहानी ,नई उम्मीदें लेकर मन मे, समय के साथ - साथ कब धीरे-धीरे सब उड़ते चले गए,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,, न जाने कहा और कैसे ,,,,,,,,,,,,,,,, last day of the college.....dedicate to my college friends