बड़ा ग़ैर सा बर्ताव कर गुज़रता है , जब कभी वादा करके मुकरता है ... वो कहकर बातें भूल भी जाता है , एक दिल मेरा सब याद रखता है ... जब- जब होता हूँ महफ़िल में रुसवा , तब - तब आँखों से सावन बरसता है ... जानता हूँ , मेरा , मेरे अलावा कोई नहीं है , फिर भी उसी को पाने का मन करता है ... ऊपर - ऊपर सब कुछ बेहतर है ' नीरज ', कौंन जानें भीतर क्या - क्या चिटकता है ...।।। ©Neeraj Shrivastava neer बर्ताव #meltingdown