बुराई को अपने हृदय से निकालो अंहकार तुम पहले अपने जलाओ शुद्धता को अपने मन मे ले आओ तब आकर तुम मुझको जलाओ।। खडा सीना ताने नहीं कोई डर है मेरी बुराई तुममें अब समाहित है पहले तुम राम बनकर दिखलाओ तब आकर तुम मुझको जलाओ।। कहते है असत्य पर सत्य विजय है मुझको कहीँ.......आता न नजर है पहले हृदय से मिथ्या वाचन हटाओ तब आकर तुम मुझको जलाओ।। मैंने तो किया सीता हरण है लेकिन अपनी मर्यादा न......लांघी कभी है जाओ पहले खुद को मर्यादा मे लाओ तब आकर तुम....मुझको जलाओ।। ©Naresh Chandra बुराई को अपने हृदय से निकालो अंहकार तुम पहले अपने जलाओ शुद्धता को अपने मन मे ले आओ तब आकर तुम मुझको जलाओ।। खडा सीना ताने नहीं कोई डर है मेरी बुराई तुममें अब समाहित है पहले तुम राम बनकर दिखलाओ