उन्हें शिकायत बहुत थी हमसे अब ख़ुद से शिकायत हो गई है पहले नफ़रत करने की ज़िद थी अब नफ़रत भी इबादत हो गई है चेहरा तो अब भी वही है शायद सीरत बदल गई है पहले फ़ासलों की बहुत तलब थी अब नज़दीकियों से रिवायत हो गई है उन्हें कितनी मोहब्बत थी हमसे अब कितनी सआदत हो गई है पहले साया भी मंज़ूर नहीं था अब अँधेरों की आदत हो गई है... © abhishek trehan ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।