चांदनी निकली मगर फिरभी अमावस्या है, हर एक इन्सान को समस्या ही समस्या है। ज़िन्दगी में समस्याओं के अनेक प्रकार है, कई इन्सानों की तो समस्या ही निरंकार है। गरीब को दो जून के भोजन की दरकार है, मजदूर किसान की सुनती नहीं सरकार है। आम आदमी बन गए समस्याओं के पुतले, समस्याओं के प्रहार पे प्रहार से हुए दुबलें। होता न विकास नेताओं के गूंज रहे जुमलें, मिटा दे जो समस्या को कहलाते वे पगलें। समस्याओं का विकराल रूप प्रकट होता, तब कहीं जाकर गांव शहर विकास होता। सभी अपने ढपले अपने अपने राग में लगे, कोई समस्याओं की अग्नि में जले तो जले। JP lodhi 19/03/2021 ©J P Lodhi. #WForWriters #Problem #Nojotowriters #Nojotonews #Nojotofilms #Nojotoorigenal #Poetry