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वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है पूछती है

वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
पूछती है मुझसे क्यों नीरज क्यों है अकेला
जब वो साथ में नहीं है उसकी यादों का मेला है ?
 वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
चिढ़ाती है मुझे कि देख तुमसे खुश हैं हम 
जो वो नहीं हैं तो क्यों है फिर उसका गम ? 
वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
कोसती है मुझे क्यों यही था तुम्हारा प्यार ?
 क्यों बस इतने से में ही बिखर गया संसार ?.
 वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
 रुलाती है मुझे कहकर कहां गई वो ? जिसको सुनने के लिए तू मुझे रोज नज़रंदाज़ करता था
 बता तो जरा क्या वो भी करती थी तुझसे इतना ही प्यार या बस तू ही उसपे बेवजह मरता था ? 
वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
रुलाती है मुझे कहकर कहां गई वो ? जिसके दर्शन ख़ातिर तू पूजा तक छोड़ देता था 
गुस्से में बुरा भला कहकर प्यार में मनाने को उसको फिर हाथ जोड़ लेता था 
वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
उसने आज खुद रोते हुए पूछा आज तो तुम्हारी सालगिरह है ना ? 
फिर कहा अरे ओह्ह मैं भूल गई तुम्हारा तो अब चल रहा विरह है ना?
 वो चिडिया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
 फिर बोली मैं हूँ ना तेरे पास तेरे साथ
 फिर भी क्यों करता है रे पगले बस उसी को याद 
फिर भी क्यों करता है रे पगले बस उसी को याद 
वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
उससे मेरी बातचीत जारी है..................

नीरज वत्स...

©Neeraj Vats #Fire #good_morning #शुभप्रभात 
#sparow #चिड़िया #चिड़िया
वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
पूछती है मुझसे क्यों नीरज क्यों है अकेला
जब वो साथ में नहीं है उसकी यादों का मेला है ?
 वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
चिढ़ाती है मुझे कि देख तुमसे खुश हैं हम 
जो वो नहीं हैं तो क्यों है फिर उसका गम ? 
वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
कोसती है मुझे क्यों यही था तुम्हारा प्यार ?
 क्यों बस इतने से में ही बिखर गया संसार ?.
 वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
 रुलाती है मुझे कहकर कहां गई वो ? जिसको सुनने के लिए तू मुझे रोज नज़रंदाज़ करता था
 बता तो जरा क्या वो भी करती थी तुझसे इतना ही प्यार या बस तू ही उसपे बेवजह मरता था ? 
वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
रुलाती है मुझे कहकर कहां गई वो ? जिसके दर्शन ख़ातिर तू पूजा तक छोड़ देता था 
गुस्से में बुरा भला कहकर प्यार में मनाने को उसको फिर हाथ जोड़ लेता था 
वो चिड़िया जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
उसने आज खुद रोते हुए पूछा आज तो तुम्हारी सालगिरह है ना ? 
फिर कहा अरे ओह्ह मैं भूल गई तुम्हारा तो अब चल रहा विरह है ना?
 वो चिडिया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है
 फिर बोली मैं हूँ ना तेरे पास तेरे साथ
 फिर भी क्यों करता है रे पगले बस उसी को याद 
फिर भी क्यों करता है रे पगले बस उसी को याद 
वो चिड़िया, जो मेरी छत के पंखे पर बैठती है 
उससे मेरी बातचीत जारी है..................

नीरज वत्स...

©Neeraj Vats #Fire #good_morning #शुभप्रभात 
#sparow #चिड़िया #चिड़िया
neerajvats2014

Neeraj Vats

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