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कविता- उम्मीद -------------- फिर से मौक़ा मिल गया ह

कविता- उम्मीद
--------------
फिर से मौक़ा मिल गया है।
फिर से तुम दीया जलालो।
प्यार को अपने सहेजो!
और ख़्वाबों को संभालो।

जिस अधूरी दास्ताँ से
वास्ता तेरा जुड़ा
जिस डगर की आश्ना में
रास्ता तेरा मुड़ा
बढ़चलो मन्ज़िल को पा लो।
फिर से तुम दीया जलालो। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #विशेषप्रतियोगिता #नववर्ष2022 #kkपाठक_पुराण_पंछी
कविता- उम्मीद
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फिर से मौक़ा मिल गया है।
फिर से तुम दीया जलालो।
प्यार को अपने सहेजो!
और ख़्वाबों को संभालो।

जिस अधूरी दास्ताँ से
वास्ता तेरा जुड़ा
जिस डगर की आश्ना में
रास्ता तेरा मुड़ा
बढ़चलो मन्ज़िल को पा लो।
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