मुझे शक नहीं यक़ीन है वो तुम ही थे शुरू से लेकर अंत तक वो तुम ही थे मध्धम मध्यम सा मीठा जहर वो तुम ही थे घर की आँधी और सारा कहर वो तुम ही थे दुख चिंता बढाने वाले वो तुम ही थे चिंता को चिता बनाने वाले वो तुम ही थे बेचने बिकवाने वाले वो तुम ही थे लूट पाट कराने वाले वो तुम ही थे सब हजम करने वाले वो तुम ही थे चुप कराने वाले भी वो तुम ही थे शोर मचाने वाले भी वो तुम ही थे घड़ियाली आँसू वाले भी वो तुम ही थे आने वाले भी वो तुम ही थे जाने वाले भी वो तुम ही थे खाने वाले भी वो तुम ही थे पचाने वाले भी वो तुम ही थे आग लगाने वाले भी वो तुम ही थे घी डालने वाले भी वो तुम ही थे निकालने वाले भी वो तुम ही थे गिनने वाले भी वो तुम ही थे घर की नींव मे वो तुम ही थे उसके मलवे में वो तुम ही थे खडे मस्तक पर वो तुम ही थे नीचे तलवे पर वो तुम ही थे तब सुदामा भी वो तुम ही थे आज कृष्ण भी वो तुम ही थे तब अर्जुन भी वो तुम ही थे मौन युधिष्ठिर भी वो तुम ही थे मुझे शक नहीं यक़ीन है वो तुम ही थे महाभारत के शकुनि वो तुम ही थे चक्रव्यूह के रचेता भी वो तुम ही थे सारे कुल के हत्यारे वो तुम ही थे #वो_तुम_ही_थे #Sadharanmanushya ©#maxicandragon मुझे शक नहीं यक़ीन है वो तुम ही थे शुरू से लेकर अंत तक वो तुम ही थे मध्धम मध्यम सा मीठा जहर वो तुम ही थे घर की आँधी और सारा कहर वो तुम ही थे