****मांई-बाप के शारधा** बड़ा रे धरछना प ,बाबू मोर जनमले, आंगन-घरवा उजियार भईल हो। बाझिनी के कलंक कोखी से टूटल, देयादिनी के ताना छूटल हो । बाबू मोर होईहे सेयान, बहुरिया हम उतारब, नाति-पोता हम खेलाईबि, अंगनवा मनसायन होई हो। घरवा में आईल अईसन पतोहिया, मोर बबुआ के भरमईलस, जीयते मुअवलस, शारधा सब बुतवलस हो। अच्छा होईत रहिती निहतनिए, पतोही के ताना ना सुनीति, जिया में नाही घाव होईत हो। आईल इ कईसन जमाना, घरवा में आवते जनाना, माई-बाप के करता बेगाना , जमाना बड़ी बाउर भईले हो। ***नवीन कुमार पाठक *** ©Kumar Manoj माई -बाप के सरधा # #SunSet