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*अगर तुम साथ हों* इस अंधेरे में भी रोशनी के दिए ज

*अगर तुम साथ हों*

इस अंधेरे में भी रोशनी के दिए जल जायेंगें! 
तुम्हारे प्यार से ग़म भी खुशियों में बदल जायेंगें! 
कितनी भी तकलीफें हो, मिलकर हम सहेंगे! 

हर मुश्किल में हम तुम साथ निभाएंगे! 
अगर तुम साथ दो, ज़िंदगी की हर चुनौतियों में खरे उतर जायेंगे! 

साज़ श्रृंगार की कोई कमी न होगी, सज जाऊँगी मैं दुल्हन तुम्हारी बनकर! मुझे अब तुम्हारी यादें सता रही, हो सके तो आ जाओ वापस मेरी पहचान बनकर! साथ दो मेरा मेरे हमसफ़र बनकर! 
 कृप्या caption को ध्यान से पढ़कर ही रचना लिखे।

👉रचना के साथ साथ शीर्षक भी जरूर लिखे।
👉बिना शीर्षक रचना मान्य नहीं होगी।

इसके नियम निम्नलिखित हैं :

* रचना लिखने का समय कल सुबह 8 बजे तक है उसके बाद लिखी रचना मान्य नहीं होगी।
*अगर तुम साथ हों*

इस अंधेरे में भी रोशनी के दिए जल जायेंगें! 
तुम्हारे प्यार से ग़म भी खुशियों में बदल जायेंगें! 
कितनी भी तकलीफें हो, मिलकर हम सहेंगे! 

हर मुश्किल में हम तुम साथ निभाएंगे! 
अगर तुम साथ दो, ज़िंदगी की हर चुनौतियों में खरे उतर जायेंगे! 

साज़ श्रृंगार की कोई कमी न होगी, सज जाऊँगी मैं दुल्हन तुम्हारी बनकर! मुझे अब तुम्हारी यादें सता रही, हो सके तो आ जाओ वापस मेरी पहचान बनकर! साथ दो मेरा मेरे हमसफ़र बनकर! 
 कृप्या caption को ध्यान से पढ़कर ही रचना लिखे।

👉रचना के साथ साथ शीर्षक भी जरूर लिखे।
👉बिना शीर्षक रचना मान्य नहीं होगी।

इसके नियम निम्नलिखित हैं :

* रचना लिखने का समय कल सुबह 8 बजे तक है उसके बाद लिखी रचना मान्य नहीं होगी।
nehapathak7952

Neha Pathak

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