अब क्या छुपा है ऐसा की इंतेज़ार करूँ इतना इन्तेहा हो चली है वक़्त क़ातिल सा है सूरज भी निष्ठुर सा हो सुनता नहीं न जाने मेरी आवाज उनके कानों तक जाती है भी के नहीं कह देना उनसे उम्र का एक पल अब कटता ही नहीं क्या पता शायद.... लाश ही पड़ी हो सूरज ढलने के बाद Hey writers!! Collab on this and add your thoughts to it. #cchindi #cccollabtime #ccsurajdhalnekebaad #openforcollab #yqchachi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQoute Chachi