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उफ्फ ज़िन्दगी वक्त गुजर रहा है,दिन ढल जाने के सा

उफ्फ ज़िन्दगी

  वक्त गुजर रहा है,दिन ढल जाने के साथ।
  कुछ पाना है,वक्त निकल जाने के बाद।
    उम्र गुजर रही है, सहारो के सहारे।
     सहारे बदल रहे है,उम्र के सहारे।
   हंसी,खुशी पन्नो में सिमटी रह गयी।।

          प्यासा हूं,भूख के मारे।
     अकेला हूं,अपनो के सहारे।
   नवीन उम्र ने पुरातन को खो दिया।
            सहारो में सहारे ही नहीं,
             अपनों में पराये ही है।
        गिनी - चुनी मुकद्दर की बातें,
         एक तू ही है, मौत के सहारे।।

 स्याही सा खून मेरा,लब्जो में रूह तेरी।
ज़ुबा पे नाम है मेरा,वाह - वाही कहाँ है तेरी।
    वक्त गुजर रहा है,आइने के साथ।
    ज़िन्दगी बदल रही हैं,बीते लम्हों के बाद।
सुकून मिल जाता है,वक्त गुजर जाने के साथ।
     दर्द बह जाता है, नम आंखों के बाद #sunshine #Zindagi #poem #Shayar #story #shrota #me #Life #no #Ka  _alone.shayari  Trisha parashar  बेबाक लेखक 💌✍️ Sheetal Buriya اسلم انساری
उफ्फ ज़िन्दगी

  वक्त गुजर रहा है,दिन ढल जाने के साथ।
  कुछ पाना है,वक्त निकल जाने के बाद।
    उम्र गुजर रही है, सहारो के सहारे।
     सहारे बदल रहे है,उम्र के सहारे।
   हंसी,खुशी पन्नो में सिमटी रह गयी।।

          प्यासा हूं,भूख के मारे।
     अकेला हूं,अपनो के सहारे।
   नवीन उम्र ने पुरातन को खो दिया।
            सहारो में सहारे ही नहीं,
             अपनों में पराये ही है।
        गिनी - चुनी मुकद्दर की बातें,
         एक तू ही है, मौत के सहारे।।

 स्याही सा खून मेरा,लब्जो में रूह तेरी।
ज़ुबा पे नाम है मेरा,वाह - वाही कहाँ है तेरी।
    वक्त गुजर रहा है,आइने के साथ।
    ज़िन्दगी बदल रही हैं,बीते लम्हों के बाद।
सुकून मिल जाता है,वक्त गुजर जाने के साथ।
     दर्द बह जाता है, नम आंखों के बाद #sunshine #Zindagi #poem #Shayar #story #shrota #me #Life #no #Ka  _alone.shayari  Trisha parashar  बेबाक लेखक 💌✍️ Sheetal Buriya اسلم انساری