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वो पल लौट जाऊं मैं वहां जहां से एक वक्त गुजारा था

वो पल
लौट जाऊं मैं वहां
जहां से एक वक्त गुजारा था
वहां देवदार की छांव थी
और जहां मैं अपनी धुन मैं नाचता था
वो तन्हाइयां जो मेरी अज़ीज़ थीं
और इस दुनिया से मुलाकात न थी।
उन पगडंडियों से चहकते हुए
गुजरना
इन पहाड़ों को देख कर खुद से
बुदबुदाना
शायद जनता हूं कहीं न कहीं 
की अब मुमकिन नहीं उनका वापिस आना
खो गया जो वक्त से खज़ाना

©Jyoti Prakash #Jyotiprakash 

#alone
वो पल
लौट जाऊं मैं वहां
जहां से एक वक्त गुजारा था
वहां देवदार की छांव थी
और जहां मैं अपनी धुन मैं नाचता था
वो तन्हाइयां जो मेरी अज़ीज़ थीं
और इस दुनिया से मुलाकात न थी।
उन पगडंडियों से चहकते हुए
गुजरना
इन पहाड़ों को देख कर खुद से
बुदबुदाना
शायद जनता हूं कहीं न कहीं 
की अब मुमकिन नहीं उनका वापिस आना
खो गया जो वक्त से खज़ाना

©Jyoti Prakash #Jyotiprakash 

#alone