वो पल लौट जाऊं मैं वहां जहां से एक वक्त गुजारा था वहां देवदार की छांव थी और जहां मैं अपनी धुन मैं नाचता था वो तन्हाइयां जो मेरी अज़ीज़ थीं और इस दुनिया से मुलाकात न थी। उन पगडंडियों से चहकते हुए गुजरना इन पहाड़ों को देख कर खुद से बुदबुदाना शायद जनता हूं कहीं न कहीं की अब मुमकिन नहीं उनका वापिस आना खो गया जो वक्त से खज़ाना ©Jyoti Prakash #Jyotiprakash #alone