बात केवल इतनी सी नही कि मन नही है, अब वहाँ कहीं अपनापन नही है। मैं चला भी जाऊँ उनके बुलाने पर, फिर से छला जाऊँ? अब वो दम नही है। फरिस्तों की तरह वो आवाज़ तो देते हैं, मगर इंसानों जैसे भी वहाँ जज़्बात नही है। तुम सब के दावे से भला क्या होगा! मेरा दिल है ये, कोई सरकार नही है। अब बदल लो ये तौर-तरीके, मेरा भी घर है ये, बाजार नही है। मैं परेशां हूँ बात इतनी सी नही, आज मेरे हक में मेरा किरदार नही है। चला जाता कब का ये सब छोड़कर, मगर कहाँ! अब पहले से हालात नही है। #yqghar #yqvapsi #yqvridhaashram #yqzajbat #yqbujirg #yqsaumitr