जिंदगी कहती हैं ए बन्दे तू रुक जा, मौत कहती हैं शर्म! कर अब तो झुक जा। जिंदगी कहती हैं अभी तो वक़्त हैं सब से मुस्कुरा कर मिल, मौत कहती हैं इतने भी अभिमान में ना तू चल। जिंदगी कहती हैं में तेरी हूं पर अमानत तो नहीं, मौत कहती हैं में सबकी हूं, मुझसे फिर जमानत तो नहीं। जिंदगी में सबसे नफरत रहती हैं, मौत में इंसा को सोते ही सबकी नजरों में प्यार की बयार बहती हैं। क्या है जीवन? सारी उम्र हम नफरतों में जीते हैं, और झुटे अभिमान में रहते हैं, _ज्योति गुर्जर #जिंदगी_मौत