अपनी ओर तो देखो टूट रही है जो कच्ची सी ये डोर तो देखो, धोखे के अंधेरों में घुट रही, भोर तो देखो, निभता कैसे रिश्ता एकतरफा कोशिशों से, मुझे नदारद कहनेवाले अपनी छोर तो देखो, अब रहा न उपाय कोई तो मुझे गलत कहोगे, मुझ पर उठी अंगुली के मन का चोर तो देखो, तुम्हें हर ओर पसरा ये सन्नाटा नज़र आ रहा है, देख ही रहे हो तो मेरे अंतर्मन का शोर तो देखो, कई सारे इल्ज़ामों तले दबा रहे हो “साकेत" को, मुझे कसूरवार कहने वाले, अपनी ओर तो देखो। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla अपनी ओर तो देखो.! . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment