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मुँह में रहे न दाँत पेट में रही न आँत मन सदा है

मुँह में रहे न दाँत 
पेट में  रही न आँत
मन सदा है भ्रांत।
इच्छाएं हुई न शांत।
मिटे मन के कल्मष 
कोई बताये मुझे
जा बसुँ किस प्रांत। 
सतगुरू नगरी जा प्यारे। 
सतगुर चरणों में मन टिकांत। 


 आशा मनसा
मुँह में रहे न दाँत 
पेट में  रही न आँत
मन सदा है भ्रांत।
इच्छाएं हुई न शांत।
मिटे मन के कल्मष 
कोई बताये मुझे
जा बसुँ किस प्रांत। 
सतगुरू नगरी जा प्यारे। 
सतगुर चरणों में मन टिकांत। 


 आशा मनसा
ckjohny5867

CK JOHNY

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