मुँह में रहे न दाँत पेट में रही न आँत मन सदा है भ्रांत। इच्छाएं हुई न शांत। मिटे मन के कल्मष कोई बताये मुझे जा बसुँ किस प्रांत। सतगुरू नगरी जा प्यारे। सतगुर चरणों में मन टिकांत। आशा मनसा