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पलकों पर ना नींद का असर होता है, भंवर से उलझनें क


पलकों पर ना नींद का असर होता है,
भंवर से उलझनें का  अपना हुनर होता है।

मेरे ख़्वाबों का शब से बैर पुराना है,
शोर-ए-ख़ामोशी का अपना सफ़र होता है।

रात का शौकीन हूँ अँधेरों से यारी अपनी,
राह भटकनें का डर नही साथ रहबर होता है।

 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार...📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-28 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥28:- रात का शौकीन हूँ

पलकों पर ना नींद का असर होता है,
भंवर से उलझनें का  अपना हुनर होता है।

मेरे ख़्वाबों का शब से बैर पुराना है,
शोर-ए-ख़ामोशी का अपना सफ़र होता है।

रात का शौकीन हूँ अँधेरों से यारी अपनी,
राह भटकनें का डर नही साथ रहबर होता है।

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🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-28 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

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