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धर वीण मध्य सो कंठ पुलकित चारों दिश हो रहे घने , ज

धर वीण मध्य सो कंठ पुलकित चारों दिश हो रहे घने ,
जय लोक सुर पर लोक सुशोभित मध्य हन्सा कर रहे ।।
जय धाम सुरपुर धाम देवन द्वंदवी बाजी घनी ,
तब शब्द अलौकिक शब्द मैं देवी सदा पूजा मही ।।

©कवि रामानुज पाराशर
  धर वीण मध्य सो कंठ पुलकित चारों दिश हो रहे घने ,
जय लोक सुर पर लोक सुशोभित मध्य हन्सा कर रहे ।।
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धर वीण मध्य सो कंठ पुलकित चारों दिश हो रहे घने , जय लोक सुर पर लोक सुशोभित मध्य हन्सा कर रहे ।। #Sarswati #shriram #vrindavan #kaviramanunj #writer @kaviramanuj #कविता

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