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अकेला चला हूँ मैं अन्जान मेरी राहें, तन्हाई समेट ल

अकेला चला हूँ मैं अन्जान मेरी राहें,
तन्हाई समेट ली है जैसे फैलाए अपने बाहें ।
बदन में लपेटे कुछ दुःख से भरे क्षण,
चुभने लगे जो बनकर सूरज की जलती किरण।
फिर गम का खयाल छोड़,
जब आते हैं जहन में बीती हुई यादें सारी,
तब पूछा करता हूँ मैं अपनी दुःखों से
के अपने हिस्से की खुशी मैंने कहाँ हारी ।



 #यादें 
#अकेला
Translated from one of my friend's English quote.
अकेला चला हूँ मैं अन्जान मेरी राहें,
तन्हाई समेट ली है जैसे फैलाए अपने बाहें ।
बदन में लपेटे कुछ दुःख से भरे क्षण,
चुभने लगे जो बनकर सूरज की जलती किरण।
फिर गम का खयाल छोड़,
जब आते हैं जहन में बीती हुई यादें सारी,
तब पूछा करता हूँ मैं अपनी दुःखों से
के अपने हिस्से की खुशी मैंने कहाँ हारी ।



 #यादें 
#अकेला
Translated from one of my friend's English quote.

#यादें #अकेला Translated from one of my friend's English quote.