तुमहे क्या पता मैं तुम में क्या क्या देख लेती हूँ छोटे से पल में कई यादें समेट लेती हूँ सर्दी की रातों में तुम्हारी तस्वीर को ओढूं कभी बनाके बिस्तर उसी पर लेट लेती हूँ तेरे सीने की तपती आग और होठों की गर्माहट उन्ही यादों से आज भी जवानी सेंक लेती हूँ इस उम्र में माथा तुम्हारा क्या खूब लगता है उनकी लकीरों में मैं खुद को देख लेती हूँ समुंद्र से गहरी हैं तुम्हारी सुंदर सी ये आँखे कोई देखे मेरी आँखे मैं आँखे फेर लेती हूँ दिल ही नहीं करता कि किसी और को चाहूँ मैं उसी की मोहब्बत में खुद को घेर लेती हूँ सरगम ने आज तक बस तेरा नशा किया खुराक आज भी तेरी मैं हर सवेर लेती हूँ खुराक आज भी तेरी मैं हर सवेर लेती हूँ रुपाली अटवाल सरगम ✍ ©Rupali atwal singh sargam खुराक आज भी तेरी मैं हर सवेर लेती हूँ #intimacy