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तुमहे क्या पता मैं तुम में क्या क्या देख लेती हूँ

तुमहे क्या पता मैं तुम में 
क्या क्या देख लेती हूँ 
छोटे से पल में कई 
यादें समेट लेती हूँ 

सर्दी की रातों में 
तुम्हारी तस्वीर को ओढूं 
कभी बनाके बिस्तर उसी 
पर  लेट लेती हूँ 

तेरे सीने की तपती आग 
और होठों की गर्माहट 
उन्ही यादों से आज भी 
जवानी सेंक लेती  हूँ 

इस उम्र में माथा तुम्हारा 
क्या खूब लगता है 
उनकी लकीरों में 
मैं खुद को देख लेती हूँ 

समुंद्र से गहरी हैं तुम्हारी 
सुंदर सी ये आँखे 
कोई देखे मेरी आँखे 
मैं आँखे फेर लेती हूँ 

दिल ही नहीं करता 
कि किसी और को चाहूँ 
मैं उसी की मोहब्बत में 
खुद को घेर लेती हूँ 

सरगम ने आज तक 
बस तेरा नशा किया 
खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

रुपाली अटवाल सरगम ✍

©Rupali atwal singh sargam खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

#intimacy
तुमहे क्या पता मैं तुम में 
क्या क्या देख लेती हूँ 
छोटे से पल में कई 
यादें समेट लेती हूँ 

सर्दी की रातों में 
तुम्हारी तस्वीर को ओढूं 
कभी बनाके बिस्तर उसी 
पर  लेट लेती हूँ 

तेरे सीने की तपती आग 
और होठों की गर्माहट 
उन्ही यादों से आज भी 
जवानी सेंक लेती  हूँ 

इस उम्र में माथा तुम्हारा 
क्या खूब लगता है 
उनकी लकीरों में 
मैं खुद को देख लेती हूँ 

समुंद्र से गहरी हैं तुम्हारी 
सुंदर सी ये आँखे 
कोई देखे मेरी आँखे 
मैं आँखे फेर लेती हूँ 

दिल ही नहीं करता 
कि किसी और को चाहूँ 
मैं उसी की मोहब्बत में 
खुद को घेर लेती हूँ 

सरगम ने आज तक 
बस तेरा नशा किया 
खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

रुपाली अटवाल सरगम ✍

©Rupali atwal singh sargam खुराक आज भी तेरी 
मैं हर सवेर लेती हूँ 

#intimacy

खुराक आज भी तेरी मैं हर सवेर लेती हूँ #intimacy #कविता