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कल का बोझ आज क्यों उठाना, जी ले इस आज को, ये प

  कल का बोझ आज क्यों उठाना, 
जी ले इस आज को, 
ये पल फिर न आना।
अभी भी है वक़्त, 
तुम इसे न गंवाना। 
मुस्कराकर जीने का 
अभी खोजो बहाना। 
कल क्या होगा 
किसी ने न जाना। 
ये बिल्कुल अनिश्चित,
है सच सौ आना।
फिर क्यों ये बोझ लिए 
है बैठा ज़माना?
कल का बोझ आज 
क्यों उठाना?

©The Poetic Megha
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