आज सुबह से कोई नई नज़्म या कविता जेहन में आई ही नहीं आज सुबह ख़्वाब में माँ आई है वैसे ही अपने बिस्तर पे बैठी हुई सुबह की चाय के साथ सबों का हालचाल पूछती हुई तभी मेरे बेटे ने अम्मा की गोद में छुपते हुए कहा अम्मा मुझे भी चाय चाहिए मैंने अपने बेटे को डाँटा और अम्मा ने मुझे डाँटते हुए कहा दे दो थोड़ी सी इसे भी नौ वर्ष हो गए, मैं सोचता था अम्मा ने मेरे बेटे को कभी देखा ही नहीं फिर माँ ने पूछा पापा ठीक से तो रहते हैं ना उनको अकेला तो नहीं छोड़ते हो कभी मैंने कहा, नहीं जब कोई नहीं होता तो मैं होता हूँ और मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ता लेकिन, जब कोई और होता है तो फिर..., फिर, फिर क्या? अम्मा ने सर पर हाथ रखकर पूछा कुछ नहीं, फिर मेरी जरुरत नहीं होती नहीं नहीं, उनको अकेला नहीं रहना चाहिए मत छोड़ा करो उन्हें अकेले में...., नींद खुल गई, ये ख़्वाब था या कोई संदेश ये क्या था अम्मा?? #अम्मास्मृतिशेष #ख़्वाब #yqbaba #yqdidi