इंसान बन गया इतना काबिल अब ढूंढ रहा है एक नई जमीं अपने लिए करने लगा है ख्वाहिश खुदा बनने की कुदरत से देखो टकराने लगा है डर है मुझे कोई स्वार्थ सिद्धि करने को चाँद पर भी खुदा को व्यापार ना बना ले ठगने के लिए इंसान का ज़मीर इसे कोई एक नया हथियार ना बना ले •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़-४ •☆• 《हिंदी चैलेंज २३》 नियमावली: वही समयावधि: ११:५९ रात्रि ( १७/०२/२०२१, बुधवार ) ▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪