दर्द में मशगूल बेदर्द जिंदगी का इशारा कोई ओर है क्या... बेवफ़ाई और मुहब्बत के अलावा ज़माने का नज़ारा कोई ओर है क्या... और अपनो ने ही बीच समन्दर में छोड़कर कश्ती में छेद कर दिया... कोई किनारा हो तो बताओ वरना मौत के आलावा सहारा कोई ओर है क्या... Rizwan Ansari.. Badnaam shayar.. dard me mashgul bedard Zindagi