मैंने ही खिंची थी चाहतों में वफाओं की लकीरें किसी के होने की ख़्वाहिश भी होती अगर कभी पूरी... क्यों होता है अक़्सर हम अकेले होते हैं साथ तो होते हैं कई मगर दूर ख़ुद से होते हैं... रातों को आसमान के जब तारे गिना करते थे वो रातें भी तब बहुत खुबसूरत हुआ करती थी जमाना बदला रंगतें बदल गई जो था अपना वो शामें बदल गई... टूटे हैं अब अंदर से लोगों की अब फ़ितरत बदल गई... मनाना अब किसी की आदत नहीं भूल जाना है अब ख़ुद को लोगों की पहचान बदल गई क्यों होता है अक़्सर हम अकेले होते हैं... सबको खुशियां देते देते हम ख़ुद रातों को रोते हैं साथ तो होते हैं कई मगर अब तो दूर ख़ुद से होते हैं...।। By √ammi ©Ammi #ammi#ammi9#ankhe__alfaj #MereKhayaal