किस्मत भी क्या है चीज़ करती हैं मेरे साथ कुछ आजीब जब भी कुछ दिल से है चाहा वो कड़ी मेहनत से भी न मिल है पाया सारे सपने हो जाते है अधूरे चाह कर भी नहीं हो पाते है पूरे ए खुद तू क्यूँ नहीं खाता मुझे पर तरस मैं बनी हूँ इतनी सरस क्यूँ बिज़ली की तरह मुझे पर रहा है बरस ©Preeti Devi #shikva #shikayt