'हुस्न के जलवों की बहार' हुस्न के जलवों की बहार, ज़िन्दगी में सिर्फ़, चार दिन की है दिलदार। पहली वो भीगी रात आंसुओं की , डोली उठाते जिस दिन, घर से तुम्हारे कहार। और दूसरी मधु चंद्रिमा की रात, जिसके लिए होते, सपने संजो रखे हज़ार । और तीसरा सतीत्व का इम्तिहान शुरू, नया-नया पहला करवा चौथ का त्यौहार। और चौथे रंग, होली दिवाली के, जिनके बिना तो , ज़िन्दगी में सब कुछ बेकार। ©Anuj Ray हुस्न के जलवों की बहार'