ज़मीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी दुनिया अपनों से अनजान थी ,क्या ये कलयुग की औकात थी ? जिसने ऊँगली थामी थी ,आज उन्हें बेसहारा कर दिया सुख दुःख मे जो साथ थे, उनसे क्यों रुख मोड़ दिया बेबस नीरस काया मेरी, धुंदली होती छाया मेरी रो रो के चिलाया मेने, क्या बोया क्या पाया मेने दो वक़्त की रोटी मांगी थी ,पर मेरी दवाईआ आज तेरी जरूरतों से महंगी हो गयी , मेरी कदर आज गेरो से भी कम हो गयी, खुशी के मोको पर मुझे भी शामिल कर लिया करो, समाज मे रहने की शर्म हममे आज भी है, परिवार के प्रति वफादारी आज भी है , अपने बच्चो के प्रति माँ की ममता आज भी है , परिवार के अनुभव के लिए पिता का मार्गदर्शन आज भी है वो रात बड़ी असमंजस की रात थी जमीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी , दुनिया अपनों से अनजान थी क्या ये कलयुग की औकात थी ? #NojotoQuote बुजुर्ग