संदेह होता है आज कान्हा तुझ पर भी... क्या वाकई कभी तूने द्रोपदी को, चीर हरण से बचाया था क्या कभी तूने महिला की इज्ज़त बचाने हेतु, शस्त्र भी उठाया था आज हर दिन कितनी ही द्रोपदियों का चीर हरण यहां किया जाता है टोली में दरिंदो द्वारा नारियों को वस्त्रहीन कर दिया जाता है कितने हैं कौरव यहां, लेकिन पांडव कोई न दिखता है कितने हैं राक्षस यहां, लेकिन कृष्ण कोई न दिखता है कान्हा ! क्या सिर्फ एक द्रोपदी को बचाना ही तेरा फर्ज था या कहूं मैं, की तुझ पर उसका कोई कर्ज था जीवन तूने हमें दिया, जिंदगी तूने हमें दी, तो नारियों के सम्मान को बचाना भी तो तेरा ही फर्ज़ था अगर चला ही गया इस दुनिया से तू, तो भूला देंगे हम तुझे भी अब बस इतना बता दे तू कि किसने किया तुझसे आखिरी अर्ज था क्या बाकियों को बचाने का कुछ नहीं तेरा फर्ज़ था क्या तुझ पर सिर्फ उस द्रोपदी का ही कोई कर्ज था, उस द्रोपदी का ही कोई कर्ज था.....— % & ना चाहते हुए भी आज, संदेह होता है मुझे कान्हा, तेरे अस्तिव पर, क्या वाकई तू कभी यहां था भी.... इसी भारत में तू जन्मा है पढ़ने को तो हमें यही मिलता है कान्हा सुना है,की कण -कण में भी तू यहां बसता है क्या ये तेरी वही भूमि है, जहां हमें तेरे अस्तिव का, आज कुछ न पता है हमें तो सिर्फ तेरी भूमि के, इन गिरोह बलात्कारों का ही पता है #gangrape #rapeinindia