पल्लव की डायरी रीतकर समुंदरों ने,जैसे बदलाव की ठानी है अस्तिव मिटाकर, पुनः जैसे नई पहचान बनानी है दरियाओं से मिलने की दोस्ती घटानी है मिल गये उसे नये ठेकेदार पुरानी विरासत मिटानी है सजेंगे उसके तट,रंगरेलिया मनेगी नई कहानियों से उसकी धाक खूब गूँजेगी नदियों को मिटाकर, चंद लोगो के साथ लेन देन कर, खुद के विकास की गंगा फूटेगी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" पुरानी विरासत मिटानी है #UnexpectedStory