इश्क़ और चर्चा इश्क़ का दस्तूर है मुकम्मल हो न हो, चर्चों में बड़ी जल्दी आता है। किसी को देखना छुपके, या हो पीछे-पीछे चलना । मोहल्ले में चर्चित हो जाता है। कभी कभी तो इजहार और इकरार हो लापता पर फिर भी चर्चों में प्यार मुकाम पा जाता है। #प्यार#आजकल Ritika suryavanshi डॉ.अजय मिश्र pooja negi#