इन नवरात्र मां बाप को बोझ समझने वाले लोगो के लिए चन्द पंक्तियां - अपनी दुख्यारी है मगर अब मंदिर जाएंगे लोग खुद मां को निवाला नहीं देते मंदिर में मां को भोग खिलाएंगे लोग नवरात्र के पावन दिनों के खुद को मां का भक्त बताएंगे लोग घर में मां के तन पर कपड़ा नहीं मगर मंदिर में मां पर चुनरी और नारियल चड़ाएंगे लोग घर में मां को दुख दे रखा है अब मन्दिर में मां को मनाएंगे लोग अपनी मां को बददुआ देकर मंदिर में मां से दुआ की झोली फैलाएंगे लोग बड़ी नासमझी बड़ी शैतानी है मगर खुद को विद्वान बताएंगे लोग जिस ने पाला बढ़ा किया उसकी वृद्धाश्रम छोड़ जायेंगे लोग मगर परियो की कहानी वाली दादी बच्चो के लिए फिर कहां से लाएंगे लोग सब जतन यत्न व्यर्थ है जब मां का कोई आदर नहीं तीर्थ सब धाम घर में मगर मां बाप को छोड़ घर में तीर्थ करने जाएंगे लोग रोते है खर्चे की आड़ में मां बाप को बोझ समझते है मगर जन्म सात लेकर भी मां बाप का कर्ज ना उतार पाएंगे लोग घर में मां का दिल सुना है मगर मां के मन्दिर में फ़रियाद लगाएंगे लोग मगर भूल बैठे है वो अपनी औलाद से भी ऐसा ही बर्ताव पाएंगे लोग सब तीर्थ धाम देवी मां बाप है ये कब समझ पाएंगे लोग इन नवरात्र में बस दुआ है मां से की अपनी मां का दिल नहीं दुखाएंगे लोग।