( 2 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार माँ तेरी ममता ने तो दो कुलों को तारा है फिर क्यों एक बेटी ने आज एक बेटी के जन्म पर प्रश्न चिन्ह लगा डाला है पुरूष प्रधान इस समाज में आज नारी ने ही नारी को मार है कहीं लूट रही किसी की देह तो कहीं एक माँ ने ही अपनी कोख को उजाड़ा है सतयुग की मैं लक्ष्मी तो त्रेता की सीता हूँ द्वापर में लिया मैन ही राधा का अवतार कलियुग में मैं स्वयं कल्कि न बन जाऊं ऐसा न कर तू मुझ पर अत्याचार दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार (next to be continued........) #कोख my heartbeat Jonny $Mahi..🙂 Azad ताहिर তাহীৰ अरुणशुक्ल अर्जुन Dr.ShrutiGarg PT